अक्षय कुमार अपकमिंग फिल्म राम सेतु को लेकर सुब्रमण्यम स्वामी के टार्गेट पर हैं।

Photo Credit: Getty Images

स्वामी ने आरोप लगाया कि अक्षय की फिल्म में राम सेतु के बारे में गलत तथ्यों का फिल्मांकन किया है। स्वामी ने फिल्म के मेकर्स और अक्षय कुमार के खिलाफ मामला दर्ज करने को कहा है।

Photo Credit: Getty Images

हाल ही राम सेतु के एक पोस्टर पर भी अक्षय कुमार और जैकलीन को सोशल मीडिया पर मशाल और टॉर्च एक साथ थामने पर काफी ट्रोल किया गया था। 

Photo Credit: Poster

राम सेतु में अक्षय आर्कियोलॉजिस्ट के किरदार में हैं‚ वे फिल्म में भारत और श्रीलंका के बीच राम सेतु  की सच्चाई  का पता लगाने के लिए काम करते दिखेंगे। 

Photo Credit: Getty Images
Photo Credit: Getty Images

हिंदू धार्मिक ग्रंथों में ये एक ऐसा पुल है जिसे श्रीराम ने वानर सेना के साथ लंका पहुंचने के लिए बनाया था। ये भारत के रामेश्वरम से शुरू होकर श्रीलंका के मन्नार को जोड़ता है।

Photo Credit: NASA

श्रीराम सेतु को कई लोग प्राकृतिक घटना बता देते हैं‚  लेकिन कुछ समय पहले अमेरिकन साइंस चैनल ने दावा किया था कि राम सेतु मानव निर्मित है। और इसे रामायण काल से संबंधित बताया था। 

अमेरिकी वैज्ञानिकों ने माना है कि रामसेतु के पत्थर करीब 7,000 साल पुराने हैं  और इसकी रेत 4,000 साल पुरानी है। अक्षय कुमार इसी रिसर्च को फिल्म में बता सकते हैं।

Photo Credit: Getty Images
Photo Credit: NASA

रामसेतु पर बहस नई नहीं है। साल 2005 में विवाद उस वक्त उठा जब यूपीए-1 सरकार ने 12 मीटर गहरे और 300 मीटर चौड़े चैनल वाले सेतुसमुद्रम प्रोजेक्ट को हरी झंडी दी थी।

ये प्रोजेक्ट बंगाल की खाड़ी और अरब सागर के बीच समुद्री मार्ग को सीधी आवाजाही के लिए खोलती‚ लेकिन इसके लिए 'रामसेतु' की चट्टानों को तोड़ना पड़ता।

Photo Credit: NASA

प्रोजेक्ट के सपोर्टर का मानना था कि इससे जहाज़ों के ईंधन और समय में लगभग 36 घंटे की बचत होती‚ क्योंकि अभी जहाज़ों को श्रीलंका की परिक्रमा करके जाना होता है।

Photo Credit: NASA

हिंदू समाज का मानना है कि इस प्रोजेक्ट से 'रामसेतु' को नुकसान पहुंचता। इसी को लेकर संगठनाें ने तात्कालीन यूपीए-1 केंद्र सरकार के इस प्रोजेक्ट के समर्थन का विरोध भी जताया था। 

Photo Credit: Getty Images

असल में सबसे पहले इस प्रोजेक्ट का प्रस्ताव 1860 में भारत में कार्यरत ब्रितानी कमांडर एडी टेलर ने रखा था। 

Photo Credit: NASA

2005 में जब प्रोजेक्ट के विरोध में मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो केंद्र की कांग्रेस सरकार ने याचिका में कहा कि रामायण में जिन बातों का ज़िक्र है उसके वैज्ञानिक सबूत नहीं हैं।

Photo Credit: NASA

सुप्रीम कोर्ट में तात्कालीन सरकार की ओर से रामायण के वैज्ञानिक सबूत नहीं होने की दलील देने के बाद देशभर में हिंदू संगठनों ने प्रदर्शन किया था।

Photo Credit: Getty Images

भारत और श्रीलंका के पर्यावरणवादी भी मानते हैं कि इस प्रोजेक्ट से पाक स्ट्रेट और मन्नार की खाड़ी में समुद्री पर्यावरण को हानि होगी।

Photo Credit: Getty Images

अगली नॉलेजेबल स्टोरी के लिए क्लिक करें

Click Here