मशहूर गायक भूपिंदर सिंह का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। वह 82 वर्ष के थे।
भूपिंदर और मिताली की गजल, ‘राहों पर नजर रखना-होंठो पर दुआ रखना...., आ जाए कोई शायद दरवाजा खुला रखना...’ उनकी एवरग्रीन फेवरेट गजल्स में से एक मानी जाती है।
करोगे याद तो हर बात याद आएगी... और कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता... भूपिंदर के सुपरहिट गाने रहे।
गुलजार ने एक बार कहा था- भूपिंदर की आवाज किसी पहाड़ से टकराने वाली बारिश की बूंदें जैसी है। वो तन और मन को तरोताजा कर देती हैं...।
1980 के दशक में गायक भूपिंदर ने बांग्लादेश की रहने वाली हिंदू गायिका मिताली मुखर्जी से विवाह किया था। भूपिंदर ने एक संगीत कार्यक्रम में मिताली की आवाज सुन उनके फेन हो गए थे।
इसके बाद दोनों की मुलाकातें हुई, जो बाद में इश्क में बदल गई। कुछ समय बीत जाने के बाद सात सुरों के हमराह जिंदगी के हमसफर बन गए।
भूपेंद्र ने कॅरियर की शुरुआत ऑल इंडिया रेडियो में गायन से की। भूपिंदर गजल गाने के अलावा वायलिन और गिटार बजाने में भी माहिर थे। संगीतकार मदन मोहन ने भूपेंद्र को फिल्म 'हकीकत' में मौका दिया।
सुरेश वाडेकर के साथ जुगलबंदी में गाया उनका मशहूर गीत 'हुजूर इस्कदार भी ना इतरा के चलिए' आज भी संगीत के कद्रदानों की जुबां पर रहता है।
भूपिंदर आज भले ही हमारे बीच नहीं हैं‚ लेकिन अपनी मखमली आवाज में संगीत के कद्रदानों के बीच वे हमेशा जिंदा रहेंगे।